Sunday, March 15, 2015

सरकार्यवाह जी द्वारा अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा 2015 में प्रस्तुत वार्षिक प्रतिवेदन


DSC_0172परमपूजनीय सरसंघचालक जी, अखिल भारतीय पदाधिकारी गण, अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के सभी सदस्यगण, क्षेत्रों एवम् प्रान्तों के मान्यवर संघचालक तथा कार्यवाह बंधुगण, नवनिर्वाचित अखिल भारतीय प्रतिनिधि बंधु तथा सामाजिक जीवन के विविध कार्यों में कार्यरत निमंत्रित बहनों तथा भाइयों का नागपुर के इस पावन परिसर में संपन्न हो रही अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में हृदय से स्वागत है. संभव है कि आप में से कुछ बंधुओं का इस सभा में सम्मिलित होने का यह पहला ही अवसर होगा.
श्रद्धांजलि : वर्षों तक जिनका सान्निध्य तथा मार्गदर्शन हमें प्राप्त होता रहा तथा सामाजिक, राजनीतिक, जन प्रबोधन एवं जन जागरण के क्षेत्र में अपने सामर्थ्य से जिन्होंने जन-जन में अपना स्थान बनाया था, ऐसे कुछ महानुभाव विगत कार्यकारी मंडल की बैठक के बाद हमसे बिछुड़ गये हैं. उनका स्मरण होना स्वाभाविक है.
संघ समर्पित और स्वयंसेवकों के लिए जिनका जीवन आदर्श रहा ऐसे दक्षिण मध्य क्षेत्र के मा. संघचालक टीवी देशमुख जी कर्क रोग से संघर्ष करते-करते हमें छोड़ कर चले गये. गुजरात में जिनका प्रदीर्घ प्रचारक जीवन रहा ऐसे जीतुभाई संघवी अकस्मात अपनी जीवनयात्रा समाप्त कर गये. वनवासी कल्याण आश्रम में विभिन्न दायित्वों का निर्वहन करने वाले विशेषतः पूर्व एवं उत्तर पूर्व क्षेत्रों में कार्य को सशक्त आधार प्रदान करने वाले डॉ. रामगोपाल जी कर्क रोग से जूझते हुए स्वर्गलोक की यात्रा पर गमन कर गये. बिहार प्रांत में संघ कार्य के विस्तार में जिनकी अहम् भूमिका रही एवं पश्चात् पूर्व सैनिक सेवा परिषद के अखिल भारतीय सह-संगठन मंत्री रहे ऐसे नरेन्द्र सिंह जी आज हमारे मध्य नहीं है. जयपुर महानगर में दायित्व निर्वहन करने वाले प्रचारक श्री तरुणकुमार जी रेल दुर्घटना में स्वर्गगमन कर गये. कर्नाटक प्रांत से प्रचारक जीवन का प्रारंभ करने वाले एवं विश्व हिंदु परिषद् में विभिन्न दायित्वों को निभाने वाले वरिष्ठ प्रचारक श्रीधर आचार्य भी हमारे बीच अब नहीं रहे.
कोलकाता के माननीय संघचालक विश्वनाथ जी मुखर्जी, अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के कार्यकारी अध्यक्ष यतींद्र जी तिवारी, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के भूतपूर्व महामंत्री तथा तेलगु साहित्य और पत्रकारिता क्षेत्र में जाने माने भाग्यनगर के पी. व्यंकटेश्वरलु, पद्मविभूषण से सम्मानित इसरो के भूतपूर्व प्रमुख, स्वनामधन्य बसंतराव गोवारीकर जी, बड़ोदरा के राजपरिवार की सदस्या मृणालिनीदेवी, यह सभी महानुभाव परलोक की यात्रा पर प्रस्थान कर गये.
चित्रपट सृष्टि के जाने-माने कलाकार मुंबई के सदाशिव अमरापुरकर, महाभारत धारावाहिका के दिग्दर्शक रवी चौपड़ा जी, हास्य अभिनेता देवेन वर्मा, सिने जगत के ही गुजरात के उपेन्द्र त्रिवेदी जी और भाग्यनगर के ‘चक्री’ उपनाम से प्रख्यात जी. चक्रधर जी, इन्हें हम पुनः कभी देख नहीं पायेंगे.
व्यंगचित्र के क्षेत्र में प्रतिभा संपन्न, वर्षों तक ‘‘सामान्य मनुष्य’’ के रुप में हमारी स्मृति में रहेंगे ऐसे आरके लक्ष्मण जी, न्याय के क्षेत्र में जिनकी प्रतिबद्धता और प्रखरता से सारा देश परिचित रहा ऐसे न्यायमूर्ति वीआर कृष्ण अय्यर जी, प्रख्यात स्तंभलेखक एवं कार्टूनिस्ट दिल्ली के राजिंदर पुरी, जाने माने पत्रकार तथा पायोनिअर एवं आऊटलुक के संस्थापक संपादक विनोद जी मेहता तथा योजना आयोग के सदस्य के नाते रहे ऐसे रजनी कोठारी जी की अनुपस्थिति सदा ही वेदना देती रहेंगी.
मेघालय के स्वधर्म जागरण संगठन ‘सेंगखासी’ में जिनकी प्रभावी भूमिका रही ऐसे एम्. एफ. ब्लो. (M. F. Blow), वैसे ही मेघालय के ही ‘पनार’ जनजाति में ‘‘दोलोय’’ (धार्मिक एवं प्रशासनिक प्रमुख) थे ऐसे के. सी. रिम्बाय (K. C. Rymbai) जो ‘स्वधर्म’ पालन का विचार दृढ़ता के साथ रखते थे, ऐसे दोनों महानुभाव अंतिम यात्रा पर प्रस्थान कर गये.
बंग्लादेश में जिनका वास्तव्य रहा और हिन्दु समाज जिनके मार्गदर्शन से लाभान्वित होता रहा ऐसे पू. महामण्डलेश्वर स्वामी प्रियव्रत ब्रम्हचारी जी तथा तेवक्केमठम् के पूज्य मठाधिपति शंकरानंद ब्रम्हानंदभूति मूप्पिल स्वामीयार जी का पार्थिव शरीर शांत हो गया.
गोरखाभूमि हेतु आंदोलन का नेतृत्व करने वाले बंगाल के सुभाष घीसिंग, मुंबई से सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री रहे मुरली देवरा जी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे अब्दुल रहमान अंतुले जी, महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री, युवा नेता आरआर पाटील जी, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मास्टर हुकुमसिंह, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक केरल के एमपी राघवन् तथा साम्यवादी विचारों के प्रखर पुरस्कर्ता गोविंद पानसरे जी राजनीतिक क्षेत्र में प्रभावी भूमिका निर्वहन करते हुए काल प्रवाह में ओझल हो गये.
विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं में एवं आतंकवादियों के हाथों अपने प्राण गंवाने वाले सामान्य-जन तथा देश की सुरक्षा हेतु अपना जीवन समर्पित करने वाले सेना तथा सुरक्षाबलों के वीर जवान आदि सभी को हम इस अवसर पर स्मरण करते हैं.
इन सभी दिवंगत बंधु-भगिनियों के परिवार जनों के प्रति अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा अपनी शोक संवेदना प्रकट करती है तथा इन दिवंगत आत्माओं को हम श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं.
कार्यस्थिति :
2012 में नागपुर में संपन्न अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में हमने कार्य विस्तार पर चिंतन करते हुए निश्चित योजना पर कार्य करना प्रारंभ किया था. तीन वर्षों के सतत प्रयासों के संतोषजनक परिणाम सामने आये हैं. 2012 की तुलना में वर्तमान में 5161 स्थान और 10413 शाखाओं की वृद्धि हुई है. वैसे ही साप्ताहिक मिलन और संघ मंडली की संख्या में भी वृद्धि हुई है. संकलित वृत्त के अनुसार इस समय 33222 स्थानों पर 51330 शाखाएं, 12847 साप्ताहिक मिलन और 9008 संघ मंडली हैं. इसमें तरुण विद्यार्थिओं की 6077 शाखाएं है. कुल मिलाकर 55,010 स्थानों तक हम पहुंच गए हैं.
गत मार्च के पश्चात संपन्न संघ शिक्षा वर्गों में प्रथम वर्ष सामान्य एवं विशेष के 59 वर्गों में 9609 स्थानों से 15332 शिक्षार्थी, द्वितीय वर्ष सामान्य एवं विशेष के 16 वर्गों में 2902 स्थानों से 3531 शिक्षार्थी सहभागी हुए. तृतीय वर्ष के वर्ग में 657 स्थानों से 709 संख्या रही. इसी कालखंड में विभिन्न प्रान्तों में संपन्न प्राथमिक वर्गों में भी ग्रामों का प्रतिनिधित्व एवं शिक्षार्थियों की संख्या भी अच्छी रही है. कुल मिलाकर 23812 शाखाओं से 80409 संख्या रही.
परम पूजनीय सरसंघचालक जी का 2014-15 का प्रवास :  क्षेत्रश: प्रवास में संगठनात्मक बैठकों के साथ-साथ विशेष कार्यक्रमों में उपस्थिति और विशेष संपर्क की योजना बनी थी. देवगिरी प्रान्त का विशाल एकत्रीकरण और इम्फाल में संपन्न शीत सम्मेलन, दोनों ही कार्यक्रमों में कार्यकर्ताओं का सघन प्रयास और समाज का सहभाग अत्यंत प्रेरक रहा. ब्रज एवं उत्तराखंड के महाविद्यालयीन छात्र शिविर, नियोजन और उपस्थिति की दृष्टि से प्रभावी रहे.
कुछ स्थानों पर आयोजित वार्तालाप कार्यक्रमों में प्रसार माध्यमों के प्रमुख व्यक्ति, शिक्षाविद्, न्यायाधीश, शासकीय अधिकारी, संत, साहित्यकार आदि महानुभावों की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही.
विशेष संपर्क के क्रम में मंगलयान योजना के प्रमुख मन्नादुरै, नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी, आचार्य महाश्रमण जी, भंते राहुलबोधि जी, स्वामी दयानंद सरस्वती जी, पुरी के महाराजा गजपती जी आदि महानुभावों से मिलना हुआ.
मा. सरकार्यवाह जी का प्रवास :   वर्ष 2014-15 की प्रवास योजना में अन्यान्य संगठनात्मक बैठकों के साथ ही एक विशेष बैठक का आयोजन सभी स्थानों पर किया गया. कार्य विस्तार के नाते अधिकाधिक ग्रामों तक कार्य खड़ा हो इस दृष्टि से जिले के मुख्य मार्ग पर आने वाले ग्रामों तक संपर्क करने की योजना बनाई गयी. ऐसे सभी ग्रामों से चयनित व्यक्तियों को निमंत्रित किया गया.
प्रवास के दौरान 11 क्षेत्रों में ऐसी 15 बैठकों का आयोजन किया गया जिसमें 34 जिलों के 1522 ग्रामों से 2919 लोग उपस्थित रहे. सभी बैठकों में आगामी कालखंड में कैसी रचना हो इस पर विचार हुआ. बैठकों में नए संपर्क में आए व्यक्तियों का प्रतिशत लगभग 40 रहा. अनुकूल वातावरण का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त हुआ. समग्रता से नियोजन होगा तो अच्छे परिणाम आऐंगे.
कुछ क्षेत्रों में विभिन्न गतिविधियों के प्रमुख कार्यकर्ताओं की बैठकें हुई. विशेषतः धर्मजागरण समन्वय विभाग का कार्य सुनियोजित पद्धति से बढ़ रहा है ऐसा कह सकते हैं.
कार्यकर्ता विकास वर्ग :  कार्यकर्ताओं की क्षमता विकास की दृष्टि से ‘‘कार्यकर्ता विकास वर्ग’’ का विचार किया गया है. जिला-विभाग स्तर का दायित्व निर्वहन करने वाले अधिक सक्षम हों यह विचार करते हुए पाठ्यक्रम तैयार किया गया. यह वर्ग क्षेत्रश: हो रहे हैं. वर्ष 2014-15 में मध्य-क्षेत्र और उत्तर-पश्चिम क्षेत्रों के वर्ग संपन्न हुए. अनुभव अच्छा रहा. प्रतिवर्ष क्षेत्रश: वर्ग होने वाले हैं.
कार्य विभाग वृत्त :
(1) शारीरिक विभाग :  गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष प्रहार महायज्ञ में सभी बिंदुओं में – जैसे सहभागी शाखाएं, स्वयंसेवक, कुल प्रहार, 1,000 से अधिक प्रहार लगाने वालों की संख्या आदि – अच्छी वृद्धि हुई है. पचास प्रतिशत से अधिक शाखाओं के 3 लाख 27 हजार स्वयंसेवकों का सहभाग जिसमें 90 प्रतिशत स्वयंसेवक 45 वर्ष से कम आयु के थे. कुल 15 करोड़ 80 लाख प्रहार लगाये गये जो इस कार्यक्रम की उल्लेखनीय विशेषताएं हैं.
इस वर्ष उज्जैन में बालों के लिए मलखंब का विशेष प्रशिक्षण वर्ग आयोजित किया गया, जिसमें 26 प्रातों से 54 बाल एवं किशोर स्वयंसेवक सहभागी हुए.

Saturday, March 14, 2015

ગુજરાત આર એસ એસ ના મા. સંઘ ચાલકજી  શ્રી ડૉ. જયંતીભાઈ ભાડેસિયાની પશ્ચિમ ક્ષેત્ર ના સંઘ ચાલક તરીકે નિયુક્તિ.

 
મા  શ્રી ડૉ જયંતીભાઈ ભાડેસીયાજી જે ગુજરાત પ્રાંત ના મા. સંઘચાલકજી નું દાયિત્વ વહન કરતા હતા ,હવે થી તેઓ પશ્ચિમ ક્ષેત્ર ,  જેમાં ગુજરાત, મહારાષ્ટ્ર અને ગોવા નો સમાવેશ થઇ જાય છે એ કાર્ય ક્ષેત્ર ના મા. સંઘ ચાલકજી ની ભૂમિકા નિભાવશે.  ડૉ જયંતીભાઈ મોરબી ના સ્વયંસેવક છે. તેઓ વિવિધ જવાબદારી નિભાવતા ગુજરાત પ્રાંત ના સહ કાર્યવાહ અને પછી છેલ્લા પાંચેક વર્ષ થી ગુજરાત પ્રાંત ના સંઘ ચાલક તરીકે નું દાયિત્વ નિભાવી રહ્યા હતા.
 
મા. જયંતીભાઈ ને જયારે પણ મળીયે ત્યારે એમનું સાલસ વ્યક્તિત્વ કોઈ ને કોઈ વિષય પર વાત કરવા પ્રેરતું રહ્યું છે. એમના બૌધિકો (પ્રવચન ) માં પણ હંમેશા સાદગી જ અનુભવાયી છે કોઈ શબ્દો ની માયાજાળ નહિ અને વિચારો નું ભારણ નહિ. બસ સીધો સંવાદ કાર્યકર્તાને સતત દોડવા પ્રેરણા આપે. સોશ્યલ મીડિયા ની નાડ પારખવામાં કુશળ એવા મા.શ્રી જયંતીભાઈ નું માર્ગદર્શન ગુજરાત અને વ્યક્તિગત રીતે મારા પુરતું મર્યાદિત નહિ રહે એ વાત નું દુઃખ છે પરંતુ હવે એમનું માર્ગદર્શન સમગ્ર પશ્ચિમ ક્ષેત્ર જેમાં ગુજરાત , મહારાષ્ટ્ર અને ગોવા અંતર્ગત પાંચ પ્રાંત આવી જાય છે, ગુજરાત, વિદર્ભ ,દેવગીરી, કોંકણ અને પશ્ચિમ મહારાષ્ટ્ર એ તમામ પ્રાંતો ને એમના અનુભવ એ જ્ઞાન નો લાભ મળશે એ વાત નો આનંદ પણ થાય છે.

Thursday, March 12, 2015


 

નિર્ભયા કાંડ : દંભ નહિ જવાબદારી ની અપેક્ષા

-    વિજય ઠાકર

નિર્ભયા કેસ માં  સજા પામેલા બળાત્કારી મુકેશ સિંઘ નો ઈન્ટરવ્યું  બી બી સી ની પત્રકાર લેસ્લી ઉડ્વીને લીધો એ વાત બહાર આવતાની સાથે ફરી એકવાર લોકમાનસ પર એકવાર એ ગોઝારી ઘટનાનો ઓછાયો ઉતરી આવ્યો. આ ઘટના કયા ચોઘડિયામાં બની હશે એ ખબર નહી બે વર્ષમાં ફરી ફરી ને એ જીવંત થતી રહી છે. દિલ્હી ની એ બસ માં છ રાક્ષસોમાં નો એક રાક્ષસ સગીર હતો એના બચાવ ની ખોખલી દલીલો હોય, ધર્મ ગુરુઓ ના બેહુદા નિવેદનો હોય કે નેતાઓ નો બેફામ બફાટ,  દરેક વખતે સમાજમાં પ્રવર્તતો એક પ્રકાર નો દંભ સામે આવતો રહ્યો છે.

 

ભારત સરકારે તાત્કાલિક પગલા લઈને આ દસ્તાવેજી ચિત્ર  ને સોશ્યલ મિડિયા અને ઇલેક્ટ્રોનિક મિડિયામાં બતાવવા પર રોક લગાવી છે. અને પ્રિન્ટ મિડિયા પણ આ ડોક્યુમેન્ટ્રી ની વિગતો ન્યુઝપેપર માં ન છાપે એવો આદેશ આપી દીધો છે.  જો કે બી બી સી એ તો આ ડોક્યુમેન્ટ્રી નું જીવંત પ્રસારણ કરી દીધું. પરંતુ આ પ્રશ્ન ડોક્યુમેન્ટ્રી ના પ્રસારણ ની રોક લગાવવા પુરતો છે કે બીજા પ્રશ્નો પણ મ્હોં ફાડીને આપણી સામે ઉભા થયા છે. ? વિચાર કરવો પડશે !

 

જયારે પણ આવી ઘટનાઓ બને છે કે ત્યારે સ્ત્રીઓના પોશાકથી લઇ ને એમણે ઘરની બહાર ક્યારે અને કોની સાથે નિકળવું એવી ચર્ચાઓ શરુ થઇ જાય છે. આવી ચર્ચાઓ કરવા વાળા સામાન્ય લોકો નથી હોતા, જેમના પર દેશ અને સમાજ ને માર્ગદર્શન આપવાની જવાબદારી છે એવા લોકો બેજવાબદાર બની ને નિવેદનો આપતા રહે છે જે ખરેખર ચિંતા જન્માવે છે.

 

કોઈ એ કહ્યું કે નિર્ભયાએ પેલા આતતાયીઓ જયારે બળાત્કાર કરી રહ્યા હતા ત્યારે રાખડી બાંધી દીધી હોત તો એ લોકો  એને છોડી દેત , એક રાજકારણીએ જાહેરસભામાં  કહ્યું કે બાળકો આવી ભૂલ કરી બેસે તો એને માફ કરી દેવા જોઈએ આટલી વાત માં ફાંસી ની સજા યોગ્ય ના કહેવાય ! આપણા સમાજ ની નિર્બળતા તો એ છે કે એ નેતા જાહેરસભા માંથી સુખરૂપ બહાર આવી ગયા. કોઈપણ જગ્યાએ બળાત્કાર ની ઘટના બને એ સાથે જ મહિલાઓ ના કપડા પર આઠ-દસ જગ્યાએ થી નિવેદનો આવી જાય છે. કેવી કુંઠિત માનસિકતા આપણી થઇ ગઈ છે ? મહિલાઓ એ જીન્સ અને ટોપ નહિ પહેરવા જોઇએ એવી દલીલો સંસ્કૃતિ ને નામે કરવા વાળા લોકો ને લક્ષ્મણ અને અર્જુન ની સ્ત્રી સન્માન ની વાતો યાદ નથી આવતી, સીતામાતા ના હાર ને લક્ષમણે નહિ ઓળખ્યો પરંતુ એમના ઝાંઝર ને ઓળખી ગયો કેમ કે એની દ્ષ્ટી સીતામાતા ના પગ થી ઉપર ઉઠી જ નહોતી. ઉર્વશી જેવી અપ્સરા ના પ્રેમ નું નિમંત્રણ અર્જુને માત્ર એટલા માટે ઠુકરાવ્યું કેમ કે ઉર્વશી અને અર્જુન ના પૂર્વજ પુરુરવા વચ્ચે પ્રેમ સંબંધ હતો. છત્રપતિ શિવાજી અને  સ્વામી વિવેકાનંદે મહિલાઓ ને જોવાની આપેલી દૃષ્ટિ પુરુષો એ પાળવાની મર્યાદાઓ નો સ્પષ્ટ સંકેત છે. અપરાધ પુરુષ કરે છે અને આપણે પાબંદીઓ સ્ત્રીઓ પર નાખીએ છીએ આવું કેમ ?

 

નિર્ભયા કેસ માં છ આરોપીઓ છે જેમણે આ જઘન્ય કાંડ ને અંજામ આપ્યો હતો. રામસિંગ જેનું મૃત્યુ થોડા મહિનાઓ પહેલા પોલીસ કસ્ટડીમાં થયું, બીજો મુકેશ સિંઘ જેનો ઈન્ટરવ્યું લંડનની લેસ્લી ઉડ્વીને લીધો છે, વિનય શર્મા, પવન ગુપ્તા, અક્ષય ઠાકુર અને એક સગીર આરોપી જેનું નામ ક્યાય જાહેરમાં નથી બોલાતું., નથી લખાતું. જે મહિલા બળાત્કારનો ભોગ બની હોય એની ઓળખ છુપી રહે એટલે એનું નામ કે ફોટો ક્યાય પ્રસિદ્ધ ન કરવો  એવો નિયમ છે પરંતુ જુવેનાઇલ (સગીર) આરોપીનું નામ છુપું રાખવું એવો કોઈ નિયમ કે કાયદો મારા ધ્યાનમાં તો નથી જ. ગુનેગાર તો ગુનેગાર છે એની જાતી કે ધર્મ જોવાની મૂર્ખતા પણ આપણે કરી રહ્યા છીએ ? જુવેનાઇલ કાયદો પણ પાંગળો છે. બળાત્કારી કૃત્ય સ્વયં એક પુખ્ત વ્યક્તિ હોવાનો પુરાવો છે આવા ગુના માટે જુવેનાઇલ કાયદાનો ફાયદો આપવાની શી જરૂર ? કાયદા નું અક્ષરશ: પાલન સભ્ય સમાજ નો શિરસ્તો બને એ અપેક્ષા છે પરંતુ જઘન્ય ગુનાઓ આચરતા આવા લોકો માટે કાયદાનું અક્ષરશ: અર્થઘટન કરી એણે કરેલા ગુનાની સામે નગણ્ય સજા કરાય એ તો અપેક્ષિત નથી જ. 

 

નિર્ભયા આપણા સમાજ ને કલુષિત કરતો પહેલો કિસ્સો નથી અને છેલ્લો પણ નથી. સ્ત્રીઓ પર અત્યાચાર એ સમાજની વરવી વાસ્તવિકતા છે એનો ઉપાય સમાજે જેમ બને તેમ વહેલો કરવો જ રહ્યો. આવા અધમ અપરાધ માટે કાયદો કડક માં કડક સજા કરે ત્યારે માનવાધિકારીઓ એ ચુપ રહેવું જોઈએ. વડાપ્રધાન નરેન્દ્રભાઈ ની એક સલાહ નું પાલન દરેક માં બાપે કરવું જોઈએ પોતાની દીકરી બહાર થી આવે ત્યારે સ્વાભાવિક રીતે ક્યાં ગઈ હતી એવો પ્રશ્ન પૂછતા રહેવું પણ મોડી રાત સુધી બહાર ફરતા પોતાનો દીકરો ક્યાં ફરી રહ્યો છે અને શું કરી રહ્યો છે એ પૂછવાની પણ ટેવ પાડવી પડશે.