Thursday, May 28, 2015

Veer Savarkar

8जुलाई 1910 को एक गुलाम देश भारत के एक क्रांतिकारी की फ्रांस के मर्सिलिज से गिरफ्तारी ने ऐसा तूफान खङा किया कि ब्रिटेन और फ्रांस के परस्पर संबंधो को ही पलीता लग गया। जिसका केस International Court Of Justice मेँ गया और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर उठाया। आज भी Arbitration Law मेँ अध्ययन का विषय है और जिसके केस का जिक्र अनेक अर्तँराष्ट्रीय संधियोँ मेँ किया गया है।
एक ऐसा क्रांतिकारी जिसको 2 आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
पहला भारतीय क्रांतिकारी जिसने वर्ष 1900 मेँ भारत की पूर्ण राजनैतिक स्वतंत्रता का लक्ष्य रखा।
प्रथम भारतीय क्रांतिकारी राजनेता जिसने वर्ष 1905 मेँ विदेशी कपङोँ की होली जलाई थी।
पुणे की फर्गुसन कालेज मेँ पढाई करते हुए वर्ष 1904 मेँ अभिनव भारत संगठन नामक क्रांतिकारी दल बनाया और लंदन मेँ कानून की पढाई करते हुए Free India Society बनाई और प्रखर क्रांतिकारी संगठन India House के सक्रिय सदस्य रहकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को अर्तँराष्ट्रीय स्तर पर उठाया।
एकमात्र भारतीय जिसकी लंदन मेँ हुई गिरफ्तारी ब्रिटिश अदालतोँ के लिए कानूनी रुप से गले की फांस बनी और जिसका केस अब भी Fugitive Offenders Act and theHabeas Corpus(Rex Vs Governor of Brixton Prison, ex-parte Savarkar) के Interpretation मेँ रैफर किया जाता है।
प्रथम भारतीय इतिहासकार जिसकी 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम पर लिखी गई पुस्तक को संपादन से पहले ही प्रतिबंधित कर दिया गया। गर्वनर जनरल ने 1909 मेँ अधिकारिक रुप से पुस्तक को प्रतिबंधित किए जाने से पहले ही सभी उपलब्ध प्रतियाँ जब्त करके जला दी थी।
प्रथम स्नातक जिसकी शैक्षणिक डिग्रियाँ स्वतंत्रता संग्राम मेँ भाग लेने के लिए रद्द कर दी गई थी।
विश्व का प्रथम कवि जिसने कालापानी की सजा काटते हुए जेल मेँ पेन के अभाव मेँ कील और पत्थर से दीवारोँ पर देशभक्ति कविताएं लिखी और उन 10 हजार लाईनोँ को रट कर जेल से बाहर निकलने पर पुस्तक के रुप मेँ संकलित किया।
प्रथम भारतीय जिसने 10 वर्ष से भी कम समय मेँ पिछङे हुए रत्नागिरी जिले मेँ छुआछूत को मरणासन्न स्थिति मेँ पहुँचा दिया।
प्रथम भारतीय क्रांतिकारी जिसने स्वर्ण और दलित समझे जाने वाले हिँदुओँ द्वारा एक साथ गणेशोत्सव मनाने की शुरुआत कराई।(1930)
जिसने सभी जाति के हिँदुओँ के बीच सहभोज की परंपरा की शुरुआत कराई।(1931)
पतितपावन मंदिर मेँ दलितोँ का प्रवेश आरंभ कराया (22 February 1931).
सभी जाति के हिँदुओँ के सहभोज के लिए एक भोजनालय की शुरुआत कराई(01 May 1933).
एक नास्तिक क्रांतिकारी जिसने हिँदू राष्ट्रवाद को ही जीवनपर्यँत अपना धर्म माना।
हिँदु राष्ट्रवाद के जनक स्वातंत्र्य वीर महामना विनायक दामोदर सावरकर को उनके जन्मदिवस पर शत-शत नमन।
👆👆👆👆👆👆
हमारे शाखा सदस्य संजीत भाई बढ़िया लिखते है ये उन की पोस्ट है

No comments:

Post a Comment