कल विशाल डडलानी और उनके प्रशंसको से अनायास ही चर्चा छीडी । विशाल मशहुर गायक है और आम आदमी पार्टी से जुडा है । उसने लिखा अगर आर एस एस हिन्दूत्व और भारतीयता को मानता है तो उन्हे अपने गणवेश को बदलना चाहिए यह गणवेश विदेशी है । विशाल स्वदेशी और विदेशी के बारे में सोचता है यह जानकर अच्छा लगा । आर एस एस के लिए गणवेश एक साधन मात्र है जिसका उपयोग केवल शिस्त के नाते है । अभी जो गणवेश है वह पहेले से कायम नही है । पहेले शर्ट का रंग भी आज के शोर्टस जैसा खाखी ही था । शर्ट के उपर दो पट्टे पहनने पडते थे । शर्ट पर आर एस एस लिखी हुई ब्रोंज की पट्टीका दोनो बाहों पर रहेती थी, जैसे अभी पुलिस के गणवेश में रहेती है । उन सब में बदल आया और आज का गणवेश सामने आया । कुछ चार साल पहेले ही बेल्ट बदल गया पहेले चमडे का बेल्ट था । अब कपडे से बुना हुआ बेल्ट है । संघ में बहोत कुछ बदल सकता है । शाखा का स्वरूप आया, प्रार्थना पहेले मराठी में थी अब संस्कृत और हिन्दीमें है । पहेले आज्ञाएं अंग्रेज़ी में थी अब संस्कृत में है । स्वतंत्रता के पहेले स्वयंसेवक जो प्रतिज्ञा लेते थे उसमे शब्द थे की में देशको स्वतंत्र बनाने के लिए संघ का घटक बना हुं ।अब वह शब्द राष्ट्र के परम वैभव के साथ जुडे है । संघ में सब बदलता है और बदलेगा भी, पर संघ का उद्देश्य इस हिन्दू राष्ट्र को अखंड , बलशाली और परम वैभव संपन्न बनाना ईस बात कर कोइ बदल नही आएगा । समाज जीवन के हर पहेलु को संस्कारक्षम बनाना और इसी को ध्यान में रख अपना कार्य बढाना यही कर्तृत्व संघ का रहेगा । स्वदेशी अपनाना यह भी उसी विचार का हिस्सा है, आरएसएस के स्वयंसेवक स्वदेशी चीजों का उपयोग करते है । वह पेन्ट पहेने या पायजामा कपडा और ब्रान्ड स्वदेशी हो यह स्वभाविक आग्रह रहेता है । कोइ विशेष प्रयास आवश्यक नहीं । गणवेश के शोर्टेस को इसी द्रष्टि से देखा जाना चाहिए । हमारा स्वदेशी भी विश्व बंघुत्व का परिचायक है, हम पोटेटो चिप्स आयात करने के खिलाफ है पर कंप्युटर चिप्स आयात करने से परहेज नहीं । हमारे देश को जरूरत होगी और हमारी संस्कृति को अनुकुल होगी वह देशी या विदेशी वस्तु या विचार का हम उपयोग करेंगे । और दुनिया को जो आवश्यक होगा और हमारे पास होगा वह दूनिया को देंगे । आपस में स्वस्थ लेनदेन वह विचारों का हो, आचारों का हो या वस्तुंओ का हो , चलता रहेगा ।और उसी आधार पर स्वदेशी विदेशी की बात होगी । कुछ मित्रों ने घर वापसी की बात की । घर वापसी क्या है समजना पडेगा । भारत में सभी हिन्दू ही थे उससे कीसी को इन्कार नही होगा । आज जो मुसलमान है, या ईसाई है यह कुछ सो साल पहेले हिन्दू थे । उन्हो ने डर से , लोभ लालच से या हिन्दूओं की कुरीतियों से तंग आकर अपनी पूजा पध्धति को बदला अगर वह फिर से वही मुख्य धारा में शामेल होना चाहते है तो आपति क्या है ? दूसरी बात कश्मीर हो, केरल या हैदराबाद का कुछ हिस्सा या उत्तरपूर्वीय भारत के कुछ राज्य जहां आज हिन्दू ओ को हिन्दु रहकर सहज जीवन प्राप्त नही है उन परिस्थितियों को नजरअंदाज कैसे कीया जा सकता है ? अगर घरवापसी का विरोघ हो तो घर्मांतरण का विरोध क्यों नही ? संघ की आलोचना बिना समजे करना ठीक नही । हम संघवाले राष्ट्र जीवन की मुख्यघारा में है क्युंकी हमे यहा होना चाहिए ।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
भारत माता की जय
ReplyDeleteभारत माता की जय
ReplyDelete